पृथ्वीराज कपूर का अद्वितीय सफर
नई दिल्ली, 2 नवंबर। भारतीय फिल्म उद्योग के एक प्रमुख नाम, पृथ्वीराज कपूर, अपनी गहरी आवाज और अदाकारी के लिए जाने जाते हैं। उनकी डायलॉग डिलीवरी ने कई कलाकारों को पीछे छोड़ दिया।
पृथ्वीराज कपूर का जन्म 3 नवंबर 1906 को अविभाजित भारत के पंजाब में हुआ था। बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था। जब वह मुंबई पहुंचे, तो उन्होंने जल्दी ही सहायक कलाकार से हीरो का किरदार निभाना शुरू कर दिया।
साइलेंट फिल्म के युग में भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी और छोटे-छोटे रोल्स में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की, और उनकी पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' थी। केएल सहगल के साथ 'प्रेसिडेंट' और 'दुश्मन' जैसी फिल्मों में भी उन्होंने अपनी अनोखी शैली से दर्शकों का दिल जीता।
उनके चाहने वाले उन्हें 'पापाजी' कहकर बुलाते थे, क्योंकि वह हमेशा दूसरों की मदद करते थे और जूनियर कलाकारों के हक में खड़े रहते थे।
हालांकि, उनकी जिंदगी में एक कठिन दौर भी आया, जब उन्होंने 1944 में पृथ्वी थिएटर्स की स्थापना की। इस सफर में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। आर्थिक तंगी के कारण, वह थिएटर के बाहर झोली लेकर खड़े होते थे, ताकि दर्शक उनकी मदद कर सकें।
पृथ्वी थिएटर्स ने 1960 तक 16 वर्षों तक काम किया, जिसमें 5,982 दिनों में 2,662 शो हुए। पृथ्वीराज कपूर ने हर शो में मुख्य भूमिका निभाई। लेकिन 1960 में उनकी सेहत बिगड़ने के कारण इसे बंद करना पड़ा। 29 मई 1971 को उनका निधन हो गया।
पृथ्वीराज कपूर को उनके योगदान के लिए 1972 में मरणोपरांत दादासाहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने 1954 और 1956 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 1969 में 'पद्म भूषण' पुरस्कार भी प्राप्त किया।
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